8th Pay Commission : देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही है। सरकार जल्द ही आठवां वेतन आयोग लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें सिर्फ वेतन नहीं, बल्कि बीमा सुरक्षा को भी नए सिरे से मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है। इसका मकसद यह है कि कर्मचारियों और उनके परिवारों को सिर्फ अच्छी सैलरी ही नहीं, बल्कि किसी भी संकट के समय बेहतर आर्थिक सुरक्षा भी मिल सके।
पुराना बीमा अब पड़ रहा है कमजोर
वर्तमान में जो बीमा योजना चल रही है, वह 1982 से लागू है और इसके बाद से इसमें सिर्फ नाम मात्र के बदलाव किए गए हैं। अभी ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम (GIS) के तहत श्रेणी A के कर्मचारियों को अधिकतम ₹1,20,000 तक का ही बीमा कवरेज मिलता है। अन्य श्रेणियों को इससे भी कम मिलता है। आज के समय में जब महंगाई, इलाज का खर्च और जीवन स्तर काफी ऊपर पहुंच चुका है, तब यह बीमा राशि बहुत ही कम और अपर्याप्त मानी जा रही है।
क्यों जरूरी है बदलाव?
बीते वर्षों में न तो बीमा राशि में बढ़ोतरी हुई है, और न ही स्कीम को नए हालात के अनुसार अपडेट किया गया है। यही कारण है कि कर्मचारी संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि बीमा कवर को मौजूदा समय के अनुरूप बढ़ाया जाए। अगर नौकरी के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को केवल नाममात्र की सहायता मिलती है, जो अब अस्वीकार्य लगती है।
नए प्रस्ताव में क्या हो सकता है?
मीडिया रिपोर्ट्स और सरकारी सूत्रों के अनुसार, आठवें वेतन आयोग के तहत बीमा कवर में बड़ी बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है। बीमा राशि को बढ़ाकर ₹10 लाख से ₹15 लाख तक करने का प्रस्ताव है। यह मौजूदा बीमा से लगभग 10 गुना ज्यादा होगा।
अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो यह न सिर्फ कर्मचारियों को मानसिक रूप से राहत देगा, बल्कि उनके परिवार को भविष्य की आर्थिक चुनौतियों से निपटने में भी मदद करेगा। इससे सरकारी नौकरियों का आकर्षण और भरोसा दोनों बढ़ेगा।
सातवें वेतन आयोग की अधूरी सिफारिशें
गौरतलब है कि सातवें वेतन आयोग ने भी पहले बीमा कवर को बढ़ाने की सिफारिश की थी। उस समय ₹15 लाख, ₹25 लाख और ₹50 लाख के विकल्प सुझाए गए थे, जिसमें कर्मचारियों को अपनी सैलरी से मासिक अंशदान देना होता। लेकिन इन सिफारिशों को कभी लागू नहीं किया गया। अब आठवें वेतन आयोग से उम्मीद की जा रही है कि वह इस पर गंभीरता से विचार करेगा और निर्णय लेगा।
सरकार की इस योजना से कर्मचारियों को सिर्फ सैलरी में बढ़ोतरी नहीं मिलेगी, बल्कि लंबी अवधि की आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी। यह कदम उनकी नौकरी को और ज्यादा स्थिर और सुरक्षित बनाएगा।
अब सभी की नजर सरकार की अगली घोषणा पर है — क्या यह ऐतिहासिक बदलाव वास्तव में लागू होगा?