Petrol Diesel Price Drop : भारत में लंबे समय से महंगे ईंधन से परेशान लोगों के लिए राहत की खबर है। 2025 के जून महीने की शुरुआत के साथ ही पेट्रोल और डीजल के दामों में गिरावट आई है। यह बदलाव देशभर में लागू हुआ है और कई शहरों में उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
क्यों घटे दाम?
ईंधन कीमतों में यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी की वजह से संभव हो पाई है। इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:
- ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी।
- वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से तेल की मांग में कमी।
- भारतीय रुपये की मजबूती।
- अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति में सुधार।
इन वैश्विक कारकों का सीधा असर भारत के घरेलू बाजार पर पड़ा है।
शहरों में पेट्रोल के नए रेट्स
देश के अलग-अलग शहरों में नई दरें कुछ इस प्रकार हैं:
- दिल्ली – ₹95.45 प्रति लीटर
- मुंबई – ₹107.83 प्रति लीटर
- कोलकाता – ₹104.76 प्रति लीटर
इस गिरावट से आम लोगों को मासिक खर्च में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
डीजल की कीमतों में भी राहत
डीजल की दरों में भी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। इससे परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को सीधा फायदा होगा। नीचे कुछ प्रमुख शहरों में डीजल के रेट्स का अंतर दिया गया है:
शहर | पुराना रेट (₹) | नया रेट (₹) | अंतर (₹) | प्रतिशत कमी |
दिल्ली | 85.38 | 83.83 | 1.55 | 1.82% |
मुंबई | 94.14 | 92.35 | 1.79 | 1.90% |
चेन्नई | 89.74 | 88.10 | 1.64 | 1.83% |
कोलकाता | 88.92 | 87.60 | 1.32 | 1.48% |
उपभोक्ताओं को क्या फायदा होगा?
- ईंधन पर खर्च घटेगा
- ट्रांसपोर्ट सस्ता हो सकता है
- जरूरी चीजों के दाम में संभावित गिरावट
- आर्थिक रूप से मध्यम वर्ग को राहत
क्या यह राहत स्थायी है?
यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि कीमतें लंबे समय तक इसी तरह नीचे बनी रहेंगी। कीमतों में आगे क्या होगा, यह कुछ चीजों पर निर्भर करेगा:
- कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें
- ओपेक की उत्पादन नीति
- मौसम और आपूर्ति की स्थिति
- भारतीय रुपये की स्थिति
- सरकार की टैक्स और सब्सिडी नीति
सरकार क्या कदम उठा सकती है?
यदि अंतरराष्ट्रीय स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आता है, तो केंद्र और राज्य सरकारें:
- स्थानीय करों में कटौती कर सकती हैं।
- पेट्रोलियम सब्सिडी नीति पर पुनर्विचार कर सकती हैं।
- ईंधन आयात नीति में बदलाव कर सकती हैं।
इस वक्त पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई गिरावट आम आदमी और व्यापारियों दोनों के लिए राहत लेकर आई है। हालांकि यह स्थिति स्थायी होगी या नहीं, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा। तब तक के लिए, यह एक पॉजिटिव संकेत है जो आर्थिक संतुलन में मदद कर सकता है।