B.Ed Course Rules Change – अगर आप या आपके परिवार में कोई शिक्षक बनने का सपना देख रहा है, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बीएड कोर्स से जुड़े कुछ अहम नियमों में बदलाव कर दिए हैं। अब अकेले बीएड कोर्स चलाने वाले कॉलेजों के दिन लद गए हैं, और पढ़ाई का तरीका भी बदलने वाला है।
अब B.Ed सिर्फ मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेज में ही होगा
NCTE की नई गाइडलाइन के अनुसार, अब देशभर में कोई भी कॉलेज अगर सिर्फ B.Ed की पढ़ाई करवा रहा है यानी वो एक Single Purpose College है, तो उसे अब मान्यता नहीं दी जाएगी। अब बीएड कोर्स सिर्फ उसी कॉलेज में पढ़ाया जाएगा जहां साथ में BA, BSc, BCom जैसे अन्य डिग्री कोर्स भी चल रहे हों। इससे मकसद है कि छात्रों को ज्यादा एक्सपोजर और संसाधन मिलें, और B.Ed की पढ़ाई सिर्फ डिग्री तक सीमित न रहे।
पास-पास वाले B.Ed कॉलेजों को किया जाएगा मर्ज
ऐसे B.Ed कॉलेज जो 3 से 10 किलोमीटर की दूरी के अंदर स्थित हैं, उन्हें अब पास के किसी बड़े डिग्री कॉलेज में मर्ज कर दिया जाएगा। यानी अब कोई भी छोटा कॉलेज अकेले बीएड नहीं चला पाएगा। उन्हें किसी बड़े संस्थान से जुड़ना होगा और मिलकर संचालन करना होगा। इससे छोटे संस्थानों को बचाने और छात्रों को बेहतर सुविधा देने में मदद मिलेगी।
2025 से बदलाव की शुरुआत, 2030 तक पूरा होगा प्लान
NCTE की योजना है कि 2030 तक पूरे देश के बीएड कॉलेजों को मल्टी-डिसीप्लिनरी फॉर्मेट में ढाल दिया जाए। इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलेगा – उन्हें ना सिर्फ बेहतर पढ़ाई का माहौल मिलेगा बल्कि रिसोर्सेज, फैकल्टी और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज का भी फायदा मिलेगा।
एडमिशन की संख्या भी कम की गई
अब से हर बीएड कोर्स में सिर्फ 50 छात्रों को ही एडमिशन दिया जाएगा। इससे पढ़ाई की क्वालिटी में सुधार होगा और टीचर्स पर बोझ भी कम पड़ेगा। ज्यादा छात्रों के चक्कर में जो पढ़ाई डिस्टर्ब होती थी, अब वो कंट्रोल में रहेगी।
छोटे कॉलेजों के लिए भी रखा गया है विकल्प
जिन छोटे बीएड कॉलेजों के पास पर्याप्त छात्र नहीं हैं या जो बंद होने की कगार पर हैं, उन्हें भी राहत दी गई है। ऐसे कॉलेज अपने नजदीकी किसी बड़े कॉलेज से साझेदारी कर सकते हैं और संसाधनों जैसे क्लासरूम, लाइब्रेरी, स्टाफ आदि को शेयर करके बीएड कोर्स जारी रख सकते हैं। इसके लिए दोनों कॉलेजों के बीच आपसी एग्रीमेंट होना ज़रूरी है।
इस बदलाव का असली मकसद क्या है?
इस पूरे रिफॉर्म का मकसद साफ है – शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना। NCTE चाहती है कि शिक्षक सिर्फ डिग्रीधारी न बनें, बल्कि वो व्यवहारिक रूप से भी मजबूत हों। मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेज में पढ़ने से छात्रों को अलग-अलग सब्जेक्ट और माहौल का अनुभव मिलेगा जो उन्हें एक बेहतर टीचर बनने में मदद करेगा।
Disclaimer:
यह लेख राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी आधिकारिक स्रोतों व मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त की गई है। कोर्स चयन या संस्थान में दाखिले से पहले संबंधित कॉलेज या विश्वविद्यालय की वेबसाइट और NCTE की आधिकारिक सूचना जरूर जांचें। नियमों में समय-समय पर बदलाव संभव हैं।