Daughters Inheritance Law : भारत में बेटियों के जमीन और संपत्ति पर अधिकार को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। पहले यह आम धारणा थी कि शादीशुदा बेटियों को पैतृक संपत्ति में ज्यादा हक नहीं मिलता। लेकिन अब समय बदल गया है। कानून में बदलाव हुए हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी कई ऐसे फैसले दिए हैं, जिनसे बेटियों को बराबरी का अधिकार मिला है।
बेटी को खेती की जमीन में भी मिलेगा हक
पहले बेटियों को खेती की जमीन में हिस्सा देना समाज में बड़ी समस्या मानी जाती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2020 और 2024 में स्पष्ट कर दिया कि शादीशुदा बेटियों को भी खेती की जमीन में बेटों के बराबर हक मिलेगा। कोर्ट ने राज्यों को यह भी कहा कि वे पुराने भेदभाव वाले कानूनों को खत्म करें और बेटियों को उनका हक दें।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बड़ा बदलाव
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बड़ा संशोधन हुआ। इसके तहत बेटियों को जन्म से ही पिता की पैतृक संपत्ति में बराबरी का हक मिल गया। यह अधिकार शादी के बाद भी खत्म नहीं होता। यानी अगर संपत्ति पैतृक है, तो बेटी को उसमें हिस्सा मिलेगा, चाहे उसकी शादी हो चुकी हो।
पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में फर्क
पिता की संपत्ति दो प्रकार की होती है:
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स्व-अर्जित संपत्ति: जो संपत्ति पिता ने खुद कमाई हो। इसमें वह जिसे चाहें दे सकते हैं।
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पैतृक संपत्ति: जो पिता को उनके पिता से मिली हो। इसमें बेटी का हक जन्म से ही बनता है।
अगर वसीयत नहीं है, तो बेटी को स्व-अर्जित संपत्ति में भी बेटों के बराबर हिस्सा मिलेगा।
किन राज्यों में अभी भी अड़चनें हैं?
कुछ राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में बेटियों को खेती की जमीन में अधिकार मिलने में अब भी दिक्कतें आती हैं। वहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसे राज्यों में शर्तों के साथ बेटियों को यह अधिकार मिल रहा है।
बेटी को जमीन में हिस्सा कैसे मिलेगा?
- अगर पिता की मृत्यु बिना वसीयत के हुई है, तो बेटी को बेटे के बराबर हिस्सा मिलेगा।
- अगर वसीयत है, तो संपत्ति उसी के अनुसार बांटी जाएगी।
- अगर बेटी को उसका हिस्सा नहीं मिल रहा, तो वह सिविल कोर्ट में केस दर्ज कर सकती है।
- कोर्ट के आदेश के बाद म्यूटेशन (नामांतरण) करवाना जरूरी होता है, ताकि जमीन पर कानूनी रूप से नाम दर्ज हो सके।
जरूरी दस्तावेज कौन-कौन से हैं?
- जन्म प्रमाण पत्र
- पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र
- जमीन के कागजात
- परिवार रजिस्टर या वारिसान प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड
- वसीयत (यदि हो)
- कोर्ट का आदेश (अगर केस हुआ हो)
सामाजिक सच्चाई और आगे की राह
कानून के बावजूद बेटियों को जमीन में हिस्सा देना समाज में अब भी आसान नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सिर्फ 16% जमीन महिलाओं के नाम पर है। लेकिन अब जागरूकता बढ़ रही है और महिलाएं अपने हक के लिए आवाज उठा रही हैं।
बेटियों को क्या करना चाहिए?
- अपने अधिकारों की जानकारी रखें।
- पिता की संपत्ति से जुड़े दस्तावेज समझें।
- पिता की मृत्यु के बाद नाम जुड़वाने की प्रक्रिया शुरू करें।
- जरूरत पड़ने पर कोर्ट का सहारा लें।
- महिला हेल्पलाइन और लीगल एड सेंटर से मदद लें।
आज की बेटी, चाहे शादीशुदा हो या अविवाहित, अपने पिता की संपत्ति की कानूनी वारिस है। यह न केवल एक कानूनी अधिकार है, बल्कि समाज में समानता की दिशा में भी बड़ा कदम है।