FASTAG System Ends – अगर आपकी गाड़ी पर अब भी FASTag लगा है और आप सोच रहे हैं कि हमेशा की तरह टोल कटेगा, तो ज़रा रुकिए! केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है – 1 जून 2025 से FASTag सिस्टम को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है, और उसकी जगह GNSS (सैटेलाइट बेस्ड) टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू होगा। इस फैसले से देश भर में सफर करने वालों को टोल प्लाजा की लाइन, फास्टैग रिचार्ज जैसी झंझटों से छुटकारा मिलेगा।
अब टोल कैसे कटेगा?
अब आपकी गाड़ी पर कोई स्टीकर नहीं लगेगा, और न ही टोल बूथ पर रुकना पड़ेगा। वाहन में ऑनबोर्ड यूनिट (OBU) लगाई जाएगी, जो सैटेलाइट से कनेक्ट होकर आपकी गाड़ी की लोकेशन और दूरी ट्रैक करेगी। जितनी दूरी आप टोल मार्ग पर तय करेंगे, उतना ही टोल कटेगा। यानी अब कोई फिक्स अमाउंट नहीं – “जितना चला, उतना पैसा!”
फास्टैग की कहानी खत्म?
2016 में जब फास्टैग आया था, तब इससे टोल बूथ की लंबी लाइनें और कैश की झंझट काफी हद तक खत्म हो गई थी। लेकिन जैसे-जैसे ट्रैफिक और डिजिटलीकरण बढ़ा, वैसे ही इसमें सुधार की ज़रूरत महसूस होने लगी। GNSS सिस्टम उसी सुधार का अगला कदम है – ज्यादा तेज, ज्यादा स्मार्ट और ज्यादा पारदर्शी।
GNSS सिस्टम कब से लागू होगा?
पहले ये सिस्टम अप्रैल 2025 से शुरू होना था, लेकिन कुछ टेक्निकल कारणों से इसकी तारीख बढ़ा दी गई। अब सरकार ने साफ कर दिया है कि 1 जून से यह सिस्टम कुछ चुनिंदा रूट्स पर लॉन्च किया जाएगा, और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। साथ ही, 15 दिन के अंदर नई टोल नीति भी सामने आने की संभावना है।
GNSS सिस्टम कैसे करेगा काम?
इस तकनीक में आपको किसी RFID टैग या FASTag स्टीकर की जरूरत नहीं पड़ेगी। वाहन में एक GNSS डिवाइस लगाई जाएगी जो सैटेलाइट की मदद से आपकी मूवमेंट को ट्रैक करेगी। इससे यह पता चलेगा कि आपने टोल रूट पर कितनी दूरी तय की और उसी आधार पर टोल अपने-आप कट जाएगा।
पेमेंट कैसे होगा?
पेमेंट को लेकर भी सब कुछ ऑटोमैटिक होगा। आपकी GNSS डिवाइस आपके बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से जुड़ी होगी। जैसे ही आप टोल रूट पर एंटर करेंगे, सिस्टम खुद ही चालू हो जाएगा और दूरी के हिसाब से पैसे काट लिए जाएंगे। दोनों प्रीपेड और पोस्टपेड ऑप्शन मौजूद होंगे।
पहले से फास्टैग यूजर्स को क्या करना होगा?
अगर आप अभी भी फास्टैग यूज कर रहे हैं, तो फिलहाल चिंता की ज़रूरत नहीं है। नई व्यवस्था पहले कुछ रूट्स पर वैकल्पिक रूप से शुरू की जाएगी, ताकि लोग आसानी से ट्रांजिशन कर सकें। लेकिन धीरे-धीरे इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसलिए सरकार ने वाहन मालिकों से कहा है कि वे समय रहते अपनी गाड़ी में GNSS डिवाइस लगवा लें।
GNSS डिवाइस कहां और कैसे मिलेगी?
सरकार ने GNSS डिवाइस को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए देशभर में अधिकृत इंस्टॉलेशन सेंटर बनाने की योजना बनाई है। वाहन मालिक यहां जाकर अपनी गाड़ी में यह डिवाइस लगवा सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया काफी आसान होगी और भविष्य में यह डिवाइस सभी गाड़ियों के लिए जरूरी हो जाएगी।
इससे क्या-क्या फायदे होंगे?
सबसे पहला फायदा तो यही कि अब टोल बूथ पर लंबी लाइनें नहीं लगेंगी। इसके अलावा दूरी के हिसाब से शुल्क कटने से यात्री को सही और पारदर्शी भुगतान करना होगा। गलत वसूली, कैश धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं कम हो जाएंगी। साथ ही, टोल सिस्टम में पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी का नया स्तर देखने को मिलेगा।
भारत की रोड ट्रैवल टेक्नोलॉजी को मिलेगा बूस्ट
GNSS आधारित टोल सिस्टम भारत को स्मार्ट रोड नेटवर्क की दिशा में एक कदम आगे ले जाएगा। यह सिस्टम सिर्फ टोल वसूली को आसान नहीं बनाएगा, बल्कि यात्रियों का अनुभव भी बेहतर करेगा। आने वाले महीनों में जब यह सिस्टम पूरे देश में लागू हो जाएगा, तो रोड ट्रैवल पहले से कहीं ज्यादा सुविधाजनक और तेज हो जाएगा।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य सूचना के लिए है। टोल कलेक्शन से जुड़ी सभी अपडेट और नियम समय के साथ बदल सकते हैं। कृपया नवीनतम जानकारी और नियमों की पुष्टि के लिए NHAI या परिवहन मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जरूर जाएं।