Gold Rate – वर्ष 2025 सोने के निवेशकों के लिए बेहद खास रहा है। इस साल जनवरी से मई तक सोने की कीमतों ने जबरदस्त तेजी दिखाई है और 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दी है, जो पिछले 10-15 सालों में कम ही देखने को मिली है। जनवरी 2025 में सोना करीब 75-76 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम था, जो अब लगभग एक लाख रुपए प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गया है। इतनी तेजी की वजह से आम आदमी के लिए एक तोला सोना खरीदना भी मुश्किल हो गया है।
पिछले साल 2024 में सोने ने लगभग 27 प्रतिशत का रिटर्न दिया था, लेकिन इस साल सिर्फ पहली छमाही में ही इससे भी बेहतर रिटर्न मिल गया है। यह शानदार प्रदर्शन सोने को निवेश के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाता है। हालांकि, हाल के दिनों में सोने की कीमतों में थोड़ी गिरावट देखी गई है, जिससे बाजार में अनिश्चितता की स्थिति बनी है। निवेशक और खरीदार दोनों इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आगे सोना महंगा होगा या सस्ता।
विशेषज्ञों की राय
बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले 4 से 6 महीनों में सोने की कीमतों में काफी गिरावट देखने को मिल सकती है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय सुरेश केडिया के मुताबिक सोना मौजूदा रिकॉर्ड से करीब 19 हजार रुपए प्रति तोला तक सस्ता हो सकता है। उनका अनुमान है कि सोना 80,000 से 85,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के बीच आ सकता है। यह गिरावट अभी के 95-98 हजार रुपए के भाव से काफी कम होगी।
इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें सबसे अहम है अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक स्थिति में सुधार। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक वैश्विक राजनीति और आर्थिक हालात अनिश्चित थे, तब तक लोग सोने को सुरक्षित निवेश मान रहे थे। लेकिन अब स्थिति सामान्य हो रही है, इसलिए निवेशक धीरे-धीरे सोने से हटकर दूसरे निवेश विकल्पों की ओर जा रहे हैं, जिससे सोने की मांग घट रही है और कीमतें गिर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक युद्ध का असर
सोने की कीमतों पर सबसे बड़ा प्रभाव अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक युद्ध का रहा है। पिछले कुछ सालों में डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के चलते वैश्विक व्यापार में भारी अनिश्चितता पैदा हुई थी, जिसके कारण निवेशक सुरक्षित ठिकाने के तौर पर सोने को चुनने लगे थे। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए टैरिफ और प्रतिबंधों ने वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा दी थी।
लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान जैसे बड़े देशों के बीच व्यापारिक तनाव कम हो रहे हैं। इस वजह से बाजारों में स्थिरता आई है और निवेशक सोने से पैसा निकालकर अन्य निवेशों में लगा रहे हैं। इसका असर सोने की कीमतों पर पड़ रहा है और वे गिरावट की ओर बढ़ रही हैं।
सोने की तेजी के कारण और उनमें बदलाव
इस साल सोने की कीमतों में जो तेजी आई, उसके पीछे कई महत्वपूर्ण वजहें थीं। सबसे बड़ा कारण था वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव। जब भी दुनिया में कोई संकट आता है, तो निवेशक अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए सोने की तरफ रुख करते हैं। इसके अलावा मुद्रास्फीति की आशंका, डॉलर की कमजोरी और केंद्रीय बैंकों की नीतियां भी सोने की कीमतों को ऊपर ले जाती हैं।
भारत में त्योहारी सीजन भी सोने की मांग बढ़ाने में सहायक रहा। शादी-ब्याह और त्योहारों के दौरान लोग सोना खरीदने लगते हैं, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं। लेकिन अब त्योहार खत्म हो चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय स्थिति में सुधार हो रहा है, इसलिए ये कारक कमजोर पड़ रहे हैं। इसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ रहा है और गिरावट की संभावना बन रही है।
निवेशकों के लिए सोने का भविष्य और सुझाव
सोने की कीमतों में संभावित गिरावट निवेशकों के लिए चिंता और मौका दोनों लेकर आ सकती है। जो लोग पहले से सोने में निवेश कर चुके हैं, उनके लिए यह थोड़ा नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि उनके निवेश का मूल्य कम हो सकता है। लेकिन जो लोग अभी सोना खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा मौका हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सोना 80-85 हजार रुपए के स्तर पर आ जाता है, तो इसे खरीदना फायदेमंद रहेगा।
फिर भी, सोने में निवेश करते समय सावधानी जरूरी है क्योंकि यह बाजार उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। निवेशकों को चाहिए कि वे अपने निवेश को विविध बनाएं और केवल सोने पर निर्भर न रहें। लंबी अवधि में सोना अच्छा निवेश माना जाता है, लेकिन कम अवधि में इसके भाव में भारी बदलाव हो सकते हैं। इसलिए अपने जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से ही निवेश करना चाहिए।
आम उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
आम लोगों के लिए सोने की कीमतों में गिरावट एक राहत की बात हो सकती है। पिछले कुछ महीनों में जब सोना बहुत महंगा था, तब शादी-ब्याह और त्योहारों के लिए सोना खरीदना मुश्किल हो गया था। अगर विशेषज्ञों के अनुमान सही साबित होते हैं, तो आने वाले समय में सोना और भी सस्ता और सुलभ हो जाएगा। लेकिन खरीदारों को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और सही समय का इंतजार करना चाहिए।
सोने की कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती हैं जैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति, आर्थिक नीतियां और बाजार की मांग। अगर फिर से कोई वैश्विक संकट आता है या व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो सोने की कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं। इसलिए खरीदारी करते समय बाजार की गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोना खरीदते समय छोटी-छोटी मात्रा में समय-समय पर खरीदारी करनी चाहिए, बजाय एक साथ बड़ी मात्रा खरीदने के।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। सोने की कीमतें बाजार की स्थिति के अनुसार ऊपर-नीचे होती रहती हैं। निवेश या खरीदारी करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना जरूरी है ताकि आप सही निर्णय ले सकें।