खेती की ज़मीन बेचने पर लग सकता है भारी टैक्स, जानिए इनकम टैक्स का नया नियम – Income Tax Rules 2025

By Prerna Gupta

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Income tax rules 2025

Income Tax Rules 2025 : आयकर विभाग ने हाल ही में कृषि भूमि की बिक्री से जुड़े टैक्स नियमों को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया है। आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि खेती की जमीन बेचने पर कोई टैक्स नहीं देना होता, लेकिन सच्चाई इससे थोड़ी अलग है। आयकर कानून में ऐसी कई शर्तें हैं जिनके अनुसार यह तय होता है कि जमीन पर टैक्स देना है या नहीं।

कितने प्रकार की होती है कृषि भूमि?

आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, कृषि भूमि दो प्रकार की मानी जाती है:

  1. ग्रामीण कृषि भूमि (Rural Agricultural Land)

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  2. शहरी कृषि भूमि (Urban Agricultural Land)

ग्रामीण कृषि भूमि वह होती है जो किसी गांव या कम जनसंख्या वाले क्षेत्र में स्थित होती है। जबकि शहरी कृषि भूमि वे ज़मीनें होती हैं जो शहर या इसके आस-पास के इलाकों में होती हैं।

कौन-सी भूमि को माना जाता है “एग्रीकल्चर लैंड”?

Income Tax Act के अनुसार, यदि कोई ज़मीन नगरपालिका या कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमा से बाहर हो और उसकी जनसंख्या के आधार पर तय दूरी में न आती हो, तभी उसे कृषि भूमि माना जाएगा।

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नियमों के अनुसार:

इसका मतलब है कि अगर आपकी ज़मीन इन दायरों में आती है, तो उसे Capital Asset माना जाएगा और उसकी बिक्री पर टैक्स देना होगा।

कब नहीं देना होता है टैक्स?

अगर आपकी खेती की ज़मीन उपरोक्त शर्तों के तहत “ग्रामीण कृषि भूमि” के दायरे में आती है, तो उसे कैपिटल एसेट नहीं माना जाएगा। ऐसे में उस ज़मीन की बिक्री से होने वाली कमाई पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता

अगर ज़मीन कैपिटल एसेट हुई तो टैक्स कैसे लगेगा?

अगर ज़मीन को कैपिटल एसेट माना गया, तो उसकी बिक्री पर टैक्स देना होगा। टैक्स की गणना दो तरह से होती है:

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  1. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG):
    अगर आपने ज़मीन को 24 महीने से पहले बेच दिया, तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यह टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार होगा।

  2. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG):
    अगर आपने ज़मीन को 24 महीने के बाद बेचा, तो यह लॉन्ग टर्म गेन माना जाएगा। ऐसे में आप को 20% टैक्स देना होगा, लेकिन इस पर इंडेक्सेशन का लाभ भी मिलेगा जिससे टैक्स कम हो सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें:

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