OPS scheme : 1 अप्रैल 2004 को सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लागू कर दी। यह बदलाव लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए झटका साबित हुआ क्योंकि OPS के तहत रिटायरमेंट के बाद जीवनभर तय पेंशन मिलती थी, जबकि NPS में पेंशन राशि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर है।
कर्मचारियों की नाराजगी और संघर्ष
नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद से ही सरकारी कर्मचारी और उनके संगठन OPS की बहाली की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि NPS में रिटायरमेंट के बाद पेंशन को लेकर अनिश्चितता रहती है, जिससे उनका भविष्य असुरक्षित हो जाता है। कर्मचारी चाहते हैं कि उन्हें OPS और NPS में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाए।
राज्य कर्मचारी संगठन और उनके नेता लगातार सरकारों से बातचीत कर रहे हैं। कई बार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपे गए हैं।
राज्य सरकारों की पहल
कर्मचारियों के दबाव और संगठनों के आंदोलन का असर कुछ राज्य सरकारों पर पड़ा है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे राज्यों ने OPS बहाल करने का फैसला किया है। हालांकि, इसे लागू करना आसान नहीं है। NPS में कर्मचारियों और सरकार द्वारा अब तक जो अंशदान किया गया है, उसका क्या होगा – यह एक बड़ा सवाल है।
मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार की स्थिति
26 अगस्त को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य कर्मचारी संगठन के नेताओं ने मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर विशेष समिति बनाई है, जिसने OPS बहाली के पक्ष में रिपोर्ट दी है। हालांकि अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
OPS और NPS में क्या अंतर है?
OPS में रिटायरमेंट के बाद आखिरी वेतन का एक तय प्रतिशत आजीवन पेंशन के रूप में मिलता था, जबकि NPS पूरी तरह निवेश आधारित है। इसमें कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान करते हैं और रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
OPS की बहाली अब केवल आर्थिक मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह चुनावी मुद्दा बन चुका है। कई कर्मचारी संगठनों ने साफ कहा है कि अगर OPS नहीं बहाल हुई, तो वे चुनावों में इसका विरोध करेंगे।
एरियर और चुनौतियां
OPS के साथ-साथ 18 महीने का एरियर मिलने की भी चर्चा है, जिससे कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि, इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और नीति की जरूरत है। सबसे बड़ी चुनौती है NPS में जमा फंड का भविष्य और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता।
अगर केंद्र सरकार OPS को फिर से लागू करती है, तो यह करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी। लेकिन इसके लिए मजबूत योजना और सभी हितधारकों की सहमति जरूरी है।