Property Knowledge: : भारत में संपत्ति को लेकर अक्सर परिवारों में विवाद हो जाते हैं। खासतौर पर जब बात दादा की संपत्ति की हो, तो पोते और दूसरे परिजनों के बीच अधिकार को लेकर भ्रम की स्थिति बन जाती है। बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि पोते का अपने दादा की पूरी संपत्ति पर हक होता है, लेकिन कानूनी रूप से यह पूरी तरह सच नहीं है।
आइए समझते हैं कि दादा की संपत्ति किस-किस तरह की हो सकती है और पोते का उस पर कितना अधिकार बनता है।
1. खुद की कमाई हुई संपत्ति पर पोते का अधिकार नहीं
अगर दादा की संपत्ति स्वअर्जित (self-acquired) है, यानी उन्होंने खुद कमाई से वह संपत्ति बनाई है, तो उस पर पोते का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स के कई फैसलों में यह स्पष्ट किया गया है कि:
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दादा अपनी स्वअर्जित संपत्ति का मालिक खुद होता है
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वह चाहें तो इसे किसी को भी दे सकते हैं, चाहे परिवार का सदस्य हो या बाहर का व्यक्ति
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दादा की इच्छा पर ही यह निर्भर करता है कि वह पोते को संपत्ति देना चाहते हैं या नहीं
2. अगर दादा की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाए
यदि दादा ने अपनी स्वअर्जित संपत्ति के लिए कोई वसीयत (will) नहीं बनाई और उनका निधन हो गया, तो उनकी संपत्ति उनके प्रथम श्रेणी के कानूनी वारिसों में बंटती है। इनमें शामिल होते हैं:
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उनकी पत्नी
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उनके बेटे
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उनकी बेटियां
अगर पोते के पिता जीवित हैं, तो पोते को सीधे तौर पर कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। पोता संपत्ति में तभी दावा कर सकता है जब उसके पिता की मृत्यु हो चुकी हो और संपत्ति का हिस्सा उनके नाम आता हो।
3. पैतृक संपत्ति में पोते का हक
अब बात करते हैं पैतृक संपत्ति (ancestral property) की। यह वह संपत्ति होती है जो चार पीढ़ियों से चली आ रही हो – यानी परदादा से दादा, फिर पिता और उसके बाद पोता।
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पैतृक संपत्ति पर पोते का जन्म से ही अधिकार होता है
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इसे कोई भी सदस्य बिना बाकी वारिसों की सहमति के बेच नहीं सकता
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इस तरह की संपत्ति को ‘संयुक्त पारिवारिक संपत्ति’ माना जाता है
अगर कोई सदस्य इस संपत्ति में से हिस्सा न दे या विवाद करे, तो पोता सिविल कोर्ट में जाकर केस दाखिल कर सकता है।
4. कानूनी सलाह क्यों है जरूरी?
अगर दादा की संपत्ति को लेकर परिवार में विवाद है – चाहे वह पैतृक हो या स्वअर्जित – तो किसी योग्य वकील से सलाह लेना जरूरी है। संपत्ति से जुड़े कानून जटिल हो सकते हैं, और कोर्ट में मामला लंबा खिंच सकता है। इसलिए पहले से जानकारी रखना और सही सलाह लेना ही समझदारी है।