RBI Guidelines : किसी न किसी जरूरत में हममें से कई लोग बैंक या एनबीएफसी से लोन लेते हैं। पर कभी-कभी आर्थिक तंगी की वजह से समय पर ईएमआई भर पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बैंक या फाइनेंस कंपनियां रिकवरी के लिए नोटिस भेजती हैं या रिकवरी एजेंट तक भेज देती हैं, जो अक्सर डराने या दबाव बनाने का काम करते हैं।
लेकिन अब इस स्थिति में राहत देने वाला बड़ा अपडेट आया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने साफ निर्देश दिए हैं कि लोन न चुकाने की स्थिति में भी ग्राहकों के पास 5 मजबूत कानूनी अधिकार होते हैं, जिन्हें बैंक नजरअंदाज नहीं कर सकते।
बिना नोटिस, आपकी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकता बैंक
अगर आपने 2 ईएमआई नहीं चुकाई हैं, तो बैंक आपको नोटिस देगा। 90 दिन तक लगातार ईएमआई न देने पर ही खाता NPA (Non Performing Asset) घोषित किया जाता है। इसके बाद ही बैंक आगे की वसूली प्रक्रिया शुरू कर सकता है। नोटिस दिए बिना आपकी संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती।
रिकवरी एजेंट आपको धमका नहीं सकता
RBI ने साफ किया है कि रिकवरी एजेंट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही संपर्क कर सकते हैं। वह भी शिष्टाचार के साथ। अगर वे धमकी देते हैं, अभद्रता करते हैं, या मानसिक दबाव बनाते हैं, तो आप बैंकिंग ओंबड्समैन या सीधे RBI से शिकायत कर सकते हैं।
जब्ती से पहले 30 दिन का पब्लिक नोटिस जरूरी
अगर आप तय समय में लोन नहीं चुका पाए तो बैंक आपकी गिरवी रखी संपत्ति की बिक्री या नीलामी का निर्णय ले सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें 30 दिन पहले सार्वजनिक नोटिस देना अनिवार्य है। नोटिस में नीलामी की तारीख, स्थान और अनुमानित मूल्य की जानकारी देनी होगी।
संपत्ति की कीमत से असहमति पर आपत्ति का अधिकार
अगर आपको लगता है कि आपकी संपत्ति को कम कीमत पर नीलाम किया जा रहा है, तो आप कानूनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, बैंक उस पर कब्जा नहीं कर सकता। यह आपका कानूनी हक है।
नीलामी के बाद बची रकम का हकदार आप ही हैं
अगर बैंक आपकी संपत्ति बेचकर लोन रिकवर कर लेता है और बिक्री के बाद कुछ रकम बचती है, तो वह पूरी तरह से आपकी होती है। आपको इसके लिए बैंक में आवेदन करना होगा और बैंक वह रकम लौटाने के लिए बाध्य होता है।