Salary Hike : देश के करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 68 लाख पेंशनभोगी लंबे समय से आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का इंतजार कर रहे हैं। अब इस आयोग को लेकर अच्छी खबर सामने आई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने आयोग को हरी झंडी दे दी है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में उत्साह बढ़ गया है। यह आयोग लागू होने के बाद सैलरी, पेंशन और भत्तों में भारी बढ़ोतरी की संभावना है।
कब से लागू हो सकता है नया वेतन आयोग?
हालांकि अभी तक सरकार की ओर से कोई अधिकारिक तारीख घोषित नहीं की गई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि यदि प्रक्रिया में देरी हुई तो यह 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी हो सकता है। चूंकि वेतन आयोग को लागू करने से पहले गहन अध्ययन और विश्लेषण की जरूरत होती है, इसलिए कुछ समय लग सकता है।
भारत में हर दस साल में एक नया वेतन आयोग गठित किया जाता है। पिछला यानी सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, जिसका कार्यकाल दिसंबर 2025 में खत्म हो रहा है। ऐसे में नए आयोग की तैयारी शुरू हो चुकी है।
फिटमेंट फैक्टर क्या है और यह कितना होगा?
वेतन निर्धारण में फिटमेंट फैक्टर बहुत अहम भूमिका निभाता है। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी बढ़ोतरी हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 1.92 से लेकर 3.00 तक हो सकता है। यदि फिटमेंट फैक्टर 3 के आसपास तय होता है, तो न्यूनतम वेतन 18,000 से बढ़कर 51,480 रुपए तक पहुंच सकता है।
फिटमेंट फैक्टर का निर्धारण महंगाई, अर्थव्यवस्था की स्थिति और सरकार के राजस्व जैसे कई पहलुओं पर निर्भर करता है। अगर फैक्टर ज्यादा होगा तो सरकार पर खर्च भी ज्यादा बढ़ेगा।
पेंशनभोगियों को भी मिलेगा सीधा फायदा
सिर्फ कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि 68 लाख पेंशनभोगियों को भी इस आयोग से राहत मिलने वाली है। अंदाजा है कि न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपए से बढ़कर 25,740 रुपए तक हो सकती है। इससे बुजुर्गों को महंगाई से लड़ने में मदद मिलेगी और वे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं व जरूरतें पूरी कर सकेंगे। साथ ही पारिवारिक पेंशन में भी वृद्धि की संभावना है।
आर्थिक असर और चुनौतियाँ
8वां वेतन आयोग लागू होने से सरकार पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा। करोड़ों लोगों को फायदा मिलने से सरकारी खर्च में काफी बढ़ोतरी होगी। लेकिन साथ ही लोगों की खरीदारी की क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। यह एक तरह से सकारात्मक चक्र शुरू कर सकता है, हालांकि इसके लिए सरकार को बजट प्रबंधन भी चतुराई से करना होगा।